जैन मुनि मगन सागर |
जैन मुनि मगन सागर मीणा गोठवाल (ग्राम – उणियारा, जिला टोंक)
आपके जीवन वृत्त के विषय में हम विगत पृष्ठों में पढ़ चुके हैं l आप टोंक जिले के उणियारा के पास उखलाना गाँव के रहने वाले थे l पटवारी से अक्षर ज्ञान सीखकर आप संस्कृत के साथ अनेक प्रादेशिक भाषाओँ के प्रकाण्ड पंडित बन गए l आपने सात खण्डों में संस्कृत भाषा में मीन पुराण लिखा जिसका संक्षिप्त हिंदी मीन पुराण की भूमिका रूप में डग (झालावाड़) निवासी रामसिंह नौरावत के सौजन्य से प्रकाशित हुआ l
आपने इस ग्रन्थ में प्राचीनकाल से मध्यकाल तक मीणा जाति की गौरवगाथा का वर्णन किया है l आपके कथनानुसार मीणा जाति शुद्ध रूप से क्षत्री और आर्यवंश परम्परा से सम्बंधित है l उनकी दृष्टि में राजपूत क्षत्रिय नहीं है l इनका प्रादुर्भाव ग्यारहवीं सदी में हुआ l
विद्वान् जैन मुनि ने अनेक शास्त्रों का उद्धरण देकर यह सिद्ध किया है कि मीणा जाति प्राचीनतम आदिवासी जनजाति है l
मुनिजी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य मीणा जाति में अपने प्राचीन गौरव का संचार करना था l इस जाति की जागृति के लिए आपने सर्वप्रथम १९४४ में मीणा समाज का नीम के थाने में विराट मीणा सम्मलेन का आयोजन किया, जिनका विस्तृत उल्लेख हम पूर्व पृष्ठों में कर चुके हैं l मुनिजी के इस उपकार का मीणा समाज सदा ॠणी रहेगा l
आपके जीवन वृत्त के विषय में हम विगत पृष्ठों में पढ़ चुके हैं l आप टोंक जिले के उणियारा के पास उखलाना गाँव के रहने वाले थे l पटवारी से अक्षर ज्ञान सीखकर आप संस्कृत के साथ अनेक प्रादेशिक भाषाओँ के प्रकाण्ड पंडित बन गए l आपने सात खण्डों में संस्कृत भाषा में मीन पुराण लिखा जिसका संक्षिप्त हिंदी मीन पुराण की भूमिका रूप में डग (झालावाड़) निवासी रामसिंह नौरावत के सौजन्य से प्रकाशित हुआ l
आपने इस ग्रन्थ में प्राचीनकाल से मध्यकाल तक मीणा जाति की गौरवगाथा का वर्णन किया है l आपके कथनानुसार मीणा जाति शुद्ध रूप से क्षत्री और आर्यवंश परम्परा से सम्बंधित है l उनकी दृष्टि में राजपूत क्षत्रिय नहीं है l इनका प्रादुर्भाव ग्यारहवीं सदी में हुआ l
विद्वान् जैन मुनि ने अनेक शास्त्रों का उद्धरण देकर यह सिद्ध किया है कि मीणा जाति प्राचीनतम आदिवासी जनजाति है l
मुनिजी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य मीणा जाति में अपने प्राचीन गौरव का संचार करना था l इस जाति की जागृति के लिए आपने सर्वप्रथम १९४४ में मीणा समाज का नीम के थाने में विराट मीणा सम्मलेन का आयोजन किया, जिनका विस्तृत उल्लेख हम पूर्व पृष्ठों में कर चुके हैं l मुनिजी के इस उपकार का मीणा समाज सदा ॠणी रहेगा l
No comments:
Post a Comment