"हथेली पर हो ये निशान तो पूरी दुनिया में कोई आपको हरा नहीं सकता! Aajtak सदियों से मनुष्य अपने भविष्य के बारे में जानने को उत्सुक रहा है. उसने स्वयं को संतुष्ट करने के लिए तथा भविष्य की घटनाओं के बारें में पता लगाने के लिए फलित ज्योतिष के आधार पर विभिन्न शाखाओं का निर्माण किया जैसे ज्योतिष, हस्तरेखा शास्त्र, और अंक ज्योतिष ज्ञान. हस्त रेखा ज्ञान, विज्ञान की एक प्राचीन शाखा है. जो हाथों की रेखाओं के आधार पर व्यक्ति के चरित्र एवं उसके भविष्य का आकलन करती है. इसका अभ्यास किसी भी संस्कृति, क्षेत्र और धर्म तक सीमित नहीं है. यह दुनिया भर में विविध सांस्कृतिक विविधताओं के साथ पाया जाता है. हाथ की रेखाओं से ना केवल मनुष्य के चरित्र और स्वभाव के बारे में पता चलता है बल्कि मनुष्य के भविष्य को लेकर भी कई बातें पता चलती हैं. अपनी जिंदगी के तमाम पहलुओं के बारे में हस्त रेखा विज्ञान से बहुत सी जानकारियां मिलती हैं. ऐसा माना जाता है कि हस्तरेखा शास्त्र का भारत में जन्म हुआ और यहां से यह विद्या चीन, तिब्बत, मिस्त्र और ईरान और यूरोप पहुंची. ग्रीक ज्योतिष-ग्रीस के विद्वान एनेक्सागोरस ने अपने समय में हस्तरेखा विज्ञान का गहन अध्ययन किया और साधुओं-संतों के साथ अपने ज्ञान को साझा किया. महान दार्शनिक अरस्तू ने इस विद्या से सिकंदर महान को अवगत कराया. कहा जाता है कि सिकंदर को हस्तरेखा विज्ञान में काफी दिलचस्पी हुई और उन्होंने अपने अधिकारियों के चरित्र का मूल्यांकन उनकी हस्तरेखा देखकर करना शुरू कर दिया था. हालांकि इस बात का स्पष्ट प्रमाण मौजूद नहीं है लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि सिकंदर ने अपने हाथ की रेखाओं का गहन अध्ययन किया था और उसी के हिसाब से अपनी जिंदगी की रणनीतियां तैयार की थीं. सिंकदर के हाथ में जो रेखाएं और निशान थे, वे आज तक किसी की हथेली पर नहीं पाए गए. हथेली पर अक्षर x का मतलब-मिस्त्र के विद्वानों का मानना है कि सिंकदर की हथेलियों पर यह यूनिक निशान था जो दुनिया के बहुत कम लोगों की हथेलियों पर पाया जाता है. एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया की कुल आबादी के केवल 3 % लोगों की हथेलियों पर ही ऐसा निशान पाया जाता है. रिसर्च स्टडी-इस दावे की सच्चाई पता लगाने के लिए मास्को की एसटीआई यूनिवर्सिटी ने एक रिसर्च करवाया जिसमें हथेली पर बने अक्षर X और इससे उनके भाग्य के संबंध का पता लगाने की कोशिश की गई. सिकंदर महान के अलावा दुनिया के कई और महान नेताओं के हाथ में भी यह निशान था. अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के हाथ पर भी यह निशान था. अगर वर्तमान की बात करें तो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हाथ में भी क्रॉस का निशान है. इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस निशान वाले लोग कितने प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले और भाग्यशाली होते हैं. अगर वर्तमान की बात करें तो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हाथ में भी क्रॉस का निशान है. इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस निशान वाले लोग कितने प्रभावशाली और भाग्यशाली होते हैं. जिन लोगों की दोनों हथेलियों पर ऐसा निशान पाया जाता है, उन्हें इस दुनिया से गुजर जाने के बाद भी सदियों तक याद किया जाता है. वहीं जिन लोगों के केवल एक हथेली पर ऐसा निशान होता है, उन्हें भी जिंदगी में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और वे काफी प्रसिद्धि हासिल करते हैं. कैसा होता है स्वभाव-ऐसे लोगों की छठीं ज्ञानेन्द्रिय बहुत काम करती हैं. ये किसी भी आने वाले खतरे, धोखे और विश्वासघात को भांप लेते हैं. ऐसे लोग बहुत ही बुद्धिमान, संवेदनशील और तेज याददाश्त वाले होते हैं. ये कुछ भी बहुत जल्दी सीख सकते हैं और अपनी रणनीतियों को प्रभावी रूप देने में बिल्कुल पीछे नहीं हटते हैं" - हथेली पर हो ये निशान तो पूरी दुनिया में कोई आपको हरा नहीं सकता! http://tz.ucweb.com/12_457rz
योजना का लक्ष्य शिक्षायोजना का मुख्य जोर यह है कि यद्यपि गरीब है पर प्रत्येक मेधावी छात्र को चुकाने में समर्थ होने वित्तीय सहायता प्राप्त करके शिक्षा प्राप्त करने का अवसर दिया जाना है। वित्तीय सहायता के अभाव के कारण किसी योग्य छात्र को उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित न रखा जाए। *Never Stop Learning* निर्देशक:- सुनील कुमार मीना
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Thursday, 28 December 2017
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"2018: राजनीति में तनाव, टकराव और चुनावी तैयारी का साल
"2018: राजनीति में तनाव, टकराव और चुनावी तैयारी का साल Original 28 Dec. 2017 urmilesh फ़ॉलोअर्स 97462 फॉलो करें PM Narendra Modi, Rahul Gandhi. Source: Google Images सन् 2018 में देश के आठ राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं और 2019 में देश का आम चुनाव होना है। इस वक्त देश में जिस तरह की राजनीतिक संस्कृति प्रभावी है, उसे देखते हुए मेरा अनुमान है कि 2018 राजनीतिक तौर पर तनाव और टकराव का साल रहेगा। सिर्फ राजनीति में ही नहीं, समाज और समुदायों के बीच रिश्तों का तीखापन और बढ़ सकता है। इसके संकेत अभी से मिलने लगे हैं। कई राज्यों में सरकारें अपने राजनीतिक विरोधियों या असहमति रखने वालों के साथ कटुता और शत्रुता के साथ पेश आ रही हैं। कई मामलों में तो कानूनी प्रावधानों और संवैधानिकता का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। चुनावी समीकरणों को अपने-अपने पक्ष में करने की सियासी दलों की जद्दोजहद में सामाजिक और सामुदायिक रिश्तों का ताना-बाना बिखरता नजर आ रहा है। हमारी कामना है कि नया वर्ष इस प्रवृत्ति से देश को उबारे। पर फिलवक्त, हालात से मिल रहे संकेत बहुत आश्वस्त नहीं करते। Picture for representation. Source: Google Images अभी कुछ ही दिनों पहले केंद्रीय मंत्रिपरिषद के दो सदस्यों क्रमशः अनंत कुमार हेगडे़ और हंसराज अहीर द्वारा दिये बयानों से भी भावी राजनीतिक परिदृश्य की असहजता के संकेत मिलते हैं। हेगड़े का यह बयान कि 'हम लोग संविधान बदलेंगे' पहली बार नहीं कहा गया है। संघ परिवार से जुड़े अनेक लोग यह बात पहले भी कह चुके हैं। प्रौद्योगिकी के मौजूदा दौर में हर तथ्य रिकार्ड होता जाता है। यहां याद दिलाना जरूरी है कि इससे पहले भाजपा-नीत एनडीए-1 की वाजपेयी सरकार के दौर में संविधान-समीक्षा के नाम पर बाकायदा एक आयोग गठित किया गया था। पर उस दौर में भाजपा को अपने बल पर पूर्ण बहुमत नहीं प्राप्त था, सरकार चलाने के लिये वह अपने गठबंधन-घटकों पर निर्भर थी। इसके अलावा उस वक्त के आर नारायणन जैसे सेक्युलर और वैज्ञानिक मिजाज के विद्वान देश के राष्ट्रपति थे। इन दो कारणों से संघ परिवार की संविधान समीक्षा या उसमें इच्छित बदलाव की आकांक्षा पूरी नहीं हो सकी। संघ परिवार के नेतृत्व ने संविधान के अनुच्छेद-370, समान आचार संहिता और संविधान के प्रिएंबुल में दर्ज भारतीय राष्ट्र-राज्य के सेक्युलर चरित्र रखने जैसे कई प्रावधानों को खत्म कराने की ठान ली थी। उस कोशिश में विफल रहने के बाद भी समय-समय पर ऐसे मुद्दों को संघ-भाजपा की तरफ से उछाला जाता रहा। सन् 2018 में संविधान के कतिपय प्रावधानों पर नये सिरे से विवाद पैदा करने की कोशिश की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। पर भाजपा चाहेगी कि अपने इस एजेंडे को सन् 2019 के संसदीय चुनाव को जीतने के बाद ही वह अमलीजामा पहनाने में जुटे। इसके लिये भाजपा को हर हालत में अगला संसदीय चुनाव भी जीतना होगा। तब तक राज्यों में जीत का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो राज्यसभा में भी उसे प्रचंड बहुमत मिल जायेगा और फिर वह मनचाहे संविधान संशोधन के लिये सक्षम होगी। Picture for representation. Source: Google Images हाल की लगातार चुनावी जीतों से भाजपा और सरकार, दोनों अपनी उपलब्धियों पर न सिर्फ मुग्ध हैं अपितु भविष्य के लिए आश्वस्त भी नजर आ रही हैं। लेकिन दोनों के समक्ष चुनौतियां कम नहीं हैं। सरकार के लिये सबसे बड़ी चुनौती है-अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करते हुए रोजगार-सृजन की बड़ी पहल करना। इस मामले में सरकार के अपने आंकड़े उसके दावों को खोखला साबित करते हैं। कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में ज्यादा निवेश बढ़ाने के लिये सरकार को नये वित्तीय प्रावधान करने होंगे। बैंकिंग क्षेत्र की चुनौतियां भी कुछ कम नहीं हैं। देखना होगा, नये वर्ष में इन क्षेत्रों में क्या-क्या नई पहल होती है! इस वर्ष की तरह अगला वर्ष भी पड़ोसी मुल्कों के साथ रिश्तों के मामले में बहुत सुखद और खुशगवार नहीं दिख रहा है। भारत-पाकिस्तान तो स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना के वक्त से ही एक-दूसरे के आमने-सामने हो गये लेकिन हाल के दिनों में भारत के रिश्ते मालदीव, श्रीलंका और नेपाल जैसे निकटस्थ देशों से भी लगातार खराब हुए हैं। चुनावी वर्ष या चुनावी तैयारी के वर्ष में भारत-पाकिस्तान रिश्तों के सुधरने की गुंजायश कम दिखती है। अगर सुधर जाये तो दोनों मुल्कों के अवाम के लिये बड़ा तोेहफा होगा। आर्थिक मोर्चे पर भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ी कामयाबी की अटकलें लगाई जा रही हैं। पर इसका फायदा क्या आम जन को मिलेगा? क्या हमारा मानव विकास सूचकांक सुधेरगा, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा? क्या रोजगार सृजन का विस्तार होगा? फिलवक्त, दुनिया के 180 मुल्कों की सूची में मानव विकास के मामले में भारत का स्थान 131 वां है। असमानता के मामले में यह आंकड़ा और भी बढ़ा हुआ्र है। 180 देशों की सूची में भारत 135वें नंबर पर है। शेयर-बाजार और सेंसेक्स के उछाल कुछ भी बतायें, आम जन के लिये संकेत बहुत सकारात्मक नहीं हैं। Aadhaar cards. Source: Google Images नये वर्ष में 'आधार' का मुद्दा और गरमा सकता है। ससंद से न्यायालय तक मसले नये सिरे से उठ सकते हैं। अंततः न्यायिक स्तर पर ही इस मसले के समाधान का देश को इंतजार करना होगा। लेकिन जिस तरह शासन की तरफ से निजता(प्राइवेसी) के मूल नागरिक अधिकार की लगातार अनदेखी की जा रही है, उसके संकेत बहुत अच्छे नहीं हैं। इससे आम नागरिकों की तमाम तरह की निजी सूचनाओं के न केवल सार्वजनिक हो जाने अपितु उनके निहित स्वार्थों द्वारा अपने हित में इस्तेमाल के अनेक मामले सामने आ रहे हैं। Picture for representation. Source: Google Images सन् 2018 में जिन 8 राज्यों- कर्नाटक, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं। वर्ष के पूर्वार्द्ध में जिन चार राज्यों में चुनाव होना है-वे हैं कर्नाटक, नगालैंड, मेघालय और त्रिपुरा। यह महज संयोग नहीं कि गुजरात चुनाव खत्म होने के अगले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी मेघालय के दौरे पर गये। इधर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी कर्नाटक के कई दौरे कर चुके हैं। अभी हाल ही में कर्नाटक से केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य अनंत हेगड़े ने संविधान बदलने सम्बन्धी विवादास्पद बयान देकर माहौल को गरमा दिया है। वह और उऩकी पार्टी टीपू सुल्तान जैसे ब्रिटिश-राज विरोधी योद्धा की जयंती मनाने के कर्नाटक सरकार के फैसले के खिलाफ लगातार अभियान चलाते रहे हैं। समझा जाता है कि कर्नाटक में आम जनता के वास्तविक मुद्दों की कीमत पर ऐसे गैर-जरूरी और भड़काऊ मसलों को चुनाव के दौरान ज्यादा उछालने की कोशिश की जायेगी। गुजरात चुनाव में प्रचार अभियान के गिरे स्तर से भी लगता है कि खासतौर पर कर्नाटक और त्रिपुरा में माहौल तनावपूर्ण रहेगा। कर्नाटक कांग्रेस-शासित राज्य है जबकि त्रिपुरा माकपा-शासित। येन केन प्रकारेण, दोनों राज्यों में भाजपा अपनी सरकार बनाने के लिये काफी समय से बेचैन है। कर्नाटक देश का एक मात्र बड़ा राज्य है, जहां इस वक्त कांग्रेस शासन में है। ज्यादातर बड़े राज्य उसके हाथ से निकल चुके हैं। ऐसे में वह भी अपने शासन वाले सूबे को बचाने की हरसंभव कोशिश करेगी। राहुल गांधी के नेतृत्व की सबसे कड़ी परीक्षा कर्नाटक में ही होगी। Mamata Banerjee, Lalu Prasad सन् 2017 में भाजपा के खिलाफ विपक्ष की व्यापक मोर्चेबंदी की बातें तो हुईं पर वे अंजाम तक नहीं पहुंचीं। तृणमूल नेत्री और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सन् 2019 के मद्देनजर विपक्ष की व्यापक गोलबंदी की जरुरत पर बल दिया। विपक्षी एकता के दूसरे प्रमुख पैरोकार रहे लालू प्रसाद यादव अब चारा घोटाले के मामले में जेल जा चुके हैं। दक्षिण के दिग्गज और डीएमके सुप्रीमो करुणानिधि लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। अन्य दलों के बीच इस मुद्दे पर गहरे अंतर्विरोध हैं। देश के दो राज्यों में शासन करने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो में ही अब तक सहमति नहीं बन सकी है। यूपी की दो बड़ी विपक्षी पार्टियां-सपा और बसपा अब भी एक-दूसरे से दूरी बनाये हुए हैं। बीते कुछ बरसों से इन दोनों पार्टियों के नेताओं को केंद्रीय जांच एजेंसियों का डर सताता रहता है। इनके नेताओं पर भ्रष्टाचार के कतिपय मामले लंबित बताये जाते हैं। इस वजह से इन्हें अपने राजनीतिक हितों पर भी समझौता करने के लिये विवश होना पड़ता है। ऐसे दौर में विपक्षी एकता का सारा दारोमदार कांग्रेस पर है। क्या राहुल अपनी मां सोनिया गांधी के नक्शेकदम पर चल सकेंगे? क्या वह सन् 2004 की तरह यूपीए जैसा एक नया सक्रिय और सशक्त प्लेटफार्म तैयार कर सकेंगे? और क्या ऐसा कोई मोर्चा जनता के बीच स्वीकार्यता हासिल कर सकेगा? सन् 2018 में इन सवालों का भी जवाब मिलेगा। देेखना होगा कि नये वर्ष में मुख्य विपक्षी पार्टी-कांग्रेस किसी बड़े विपक्षी गठबंधन की जमीन तैयार कर पाती है या नहीं! अगर ऐसा नहीं होता तो प्रधानमंत्री मोदी की भाजपा के विजय-रथ को रोकना फिलहाल तो मुमकिन नहीं दिखता। अपने पाठकों और तमाम शुभचिंतकों का आभार और नये वर्ष की शुभकामना" - 2018: राजनीति में तनाव, टकराव और चुनावी तैयारी का साल http://tz.ucweb.com/12_452FD
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वह कौन सा गेट है
"वह कौन सा गेट है जिससे कोई नहीं निकल सकता ? 28 Dec. 2017 Chander shekhar फ़ॉलोअर्स 39314 फॉलो करें अगर आप लगातार एजुकेशन और दिमाग तेज करने वाले सवाल सीखना और पढना चाहते हो तो उपर दिए गए follow बटन पर क्लिक करना ना भूले । Third party image reference सवाल - सबसे जहरीली मछली का क्या नाम है ? जवाब - स्टोन फिश सवाल - भारत का राष्ट्रीय फूल कौन-सा है ? जवाब - कमल सवाल - किस लोक देवता को जाहर पीर कहा जाता है ? जवाब - गोगाजी सवाल - बृहस्पति सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में कितना समय लेता है ? जवाब - 12 साल सवाल - सतीश धवन स्पेस सेंटर कहाँ स्थित है ? जवाब - श्रीहरिकोटा में सवाल - सबसे अधिक प्राकृतिक रबर का उत्पादन किस देश में होता है ? जवाब - थाईलैंड में सवाल - वह कौन सा गेट है जिससे कोई नहीं निकल सकता ? जवाब - कोलगेट हैल्लो दोस्तो आप कैसे हो। आपको हमारा यह Gk प्रश्न बहुत अच्छा लगा होगा। हमारा यह आर्टिकल पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद। आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो कमेंट कीजिए। नीचे दिए गए दिल के आइकॉन को दबाना ना भूलें। ताकि हम आपके लिए ऐसे और भी जल्दी जल्दी प्रश्न ला सके और आपके नॉलेज को बढ़ा सके। आपका कीमती वक्त देने के लिए शुक्रिया, आपका दिन शुभ हो।" - वह कौन सा गेट है जिससे कोई नहीं निकल सकता ? http://tz.ucweb.com/12_44VtZ
आपकी ये 3 आदतें जो आप रोज करते हैं
" आपकी ये 3 आदतें जो आप रोज करते हैं Original 26 Dec. 2017 Focuspost फ़ॉलोअर्स 204070 फॉलो करें Third party image reference किडनी आपके शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो आपके शरीर में काफी सारे काम करती है पर आपकी रोजमर्रा की आदतें आपकी किडनी को खराब कर रही हैं। अगर आप भी इन आदतों को छोड़ेंगे नहीं तो हो सकता है की आपकी किडनी आपका साथ छोड़ दें। ऐसे में अपनी किडनी का ध्यान रखना बहुत जरुरी हो जाता है। आज की पोस्ट में हम आपको बताएँगे की ऐसी कौन सी तीन आदतें हैं जो आपकी किडनियों को खराब कर रही हैं। पेशाब को रोककर रखने की आदत:- अगर आप भी उनलोगो में से हैं जो पेशाब आने पर तुरंत पेशाब न कर काफी समय बाद करते है तो आपकी किडनियों को खतरा हो सकता है। ऐसा करने से ना केवल किडनियों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि इससे आपके ब्लैडर पर भी काफी असर पड़ता है इसलिए अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको ऐसा करना तुरंत बंद कर देना चाहिए। बेहद कम पानी पीना:- सामान्य व्यक्ति को रोजाना दस से बारह गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। वह व्यक्ति जो तीन से चार लीटर पानी पीता है उनकी किडनियां बाकी व्यक्तियों की तुलना में ज्यादा स्वस्थ रहती है इसलिए अगर आपको भी कम पानी पीने की बुरी आदत है तो आपको इसे तुरंत दूर कर देना चाहिए। ज्यादा नमक का सेवन:- अगर आप भी ज्यादा नमक का सेवन करते हैं तो इसका आपके किडनियों पर काफी बुरा असर पड़ता है। ज्यादा नमक खाने से ना केवल आपकी किडनियों पर बुरा असर पड़ता है बल्कि ये आपके शरीर में कई बुरी बीमारियों को भी बुलावा देता है। ऐसे में अगर आप ज्यादा नमक का सेवन करते हैं तो इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए।" - किडनी को खराब कर रही हैं आपकी ये 3 आदतें जो आप रोज करते हैं http://tz.ucweb.com/12_44UMT
"तीन तलाक
"तीन तलाक
"तीन तलाक: लोकसभा में बिना किसी संशोधन के पास हुआ ऐतिहासिक बिल, जानें- इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें Livehindustan 28 Dec. 2017 20:13 तीन तलाक: लोकसभा में बिना किसी संशोधन के पास हुआ ऐतिहासिक बिल, जानें- इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें लोकसभा में गुरुवार को एक साथ तीन तलाक पर रोक लगाने वाला ऐतिहासिक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 बिना किसी संशोधन के पास हो गया। सदन में विधेयक के खिलाफ सभी संशोधन खारिज हो गए। अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जायेगा। लोकसभा में तीन तलाक बिल पर AIMIM प्रमुख असादुद्दीन ओवैसी के तीनों संशोधन बुरी तरह खारिज हुए। इसके अलावा कांग्रेस की सुष्मिता देव और सीपीआईएम के ए संपत के संशोधन भी खारिज किए गए। इससे पहले गुरुवार को केंद्र सरकार ने लोकसभा में इस बिल को पेश किया। इस पर लंबी बहस हुई। एआईएमआईएम, आरजीडी, टीएमसी और बीजेडी समेत कई दलों ने इसकी तीखी आलोचना की। बिल में कांग्रेस ने भी कुछ खामियां बतायी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हर कोई महिलाओं को अधिकार देने के पक्ष में है। उन्होने कहा कि इस बिल को संसद की स्थायी समिति में भेजा जाना चाहिए। जबकि, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल मौलिक अधिकारों का हनन करता है। बीजू जनता दल के सांसद भर्तुहरि मेहताब ने कहा कि इस बिल के अंदर ही कई तरह की विसंगतियां है। जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शी ने कहा कि मैं नहीं समझता हूं कि इसे समर्थन किया जाना चाहिए क्योंकि यह किस तरह से तीन तलाक को अपराध बनाने पर महिलाओं को फायदा पहुंचाएगा। अगर किसी को अपराधी के तौर पर सज़ा देकर जेल में डाल दी जाती है तो फिर उसके परिवार की देखभाल कौन करेगा। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मजबूती के साथ अपनी दलीलें कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगर मुस्लिम महिलाओं, बहनों के हित में बिल लाना अपराध है तो ये अपराध हम 10 बार करेंगे। बिल पेश करने के बाद चर्चा के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बिल को महिला के समानता वाला बिल बताया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार हुआ है। शरीयत में दखल नहीं दे रहे हैं। कानून मंत्री ने कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले आने के बाद भी सौ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद पुलिस से नहीं बल्कि सिर्फ मजिस्ट्रेट से ही जमानत संभव हो पाएगी। रविशंकर ने तीन तलाक बिल पर बोलते हुए कहा इसे राजनीति से ना जोड़े। कानून मंत्री ने कहा कि मजहब के तराजू पर बिल को ना तौला जाए। धर्म या राजनीति के लिए यह बिल नहीं लेकर आए हैं। बिल की 10 खास बातें 1-यह एक महत्वपूर्ण बिल है जिससे एक साथ तीन तलाक देने के खिलाफ सज़ा का प्रावधान होगा जो मुस्लिम पुरुषों को एक साथ तीन तलाक कहने से रोकता है। ऐसे बहुत से मामले हैं जिनमें मुस्लिम महिलाओं को फोन या सिर्फ एसएमएस के जरिए तीन तलाक दे दिया गया है। 2-इस बिल में तीन तलाक को दंडनीय अपराध का प्रस्ताव है। ये बिल तीन तलाक को संवैधानिक नैतिकता और लैंगिक समानता के खिलाफ मानता है। इस बिल के प्रावधान के मुताबिक, अगर कोई इस्लाम धर्म मानने वाला फौरन तीन तलाक देता है यह दंडनीय होगा और उसके लिए उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है। 3- इस बिल को गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रिस्तरीय समूह ने तैयार किया है। जिसमें तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत वो चाहे किसी भी रूप में हो जैसे- बोलकर, लिखित या फिर इलैक्टोनिक (एमएसएस या व्हाट्स एप), वह अवैध होगा। उसके लिए पति को तीन साल की कैद का प्रावधान है। इसे केन्द्रीय मंत्रीपरिषद की ओर से पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। 4-बिल के प्रावधान के मुताबिक, पति के ऊपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। लेकिन, कितना जुर्माना हो यह फैसला केस की सुनवाई के दौरान मजिस्ट्रेट की ओर से सुनाया जाएगा। 6- प्रस्तावित कानून सिर्फ एक साथ तीन तलाक पर ही लागू होगा और इसमें पीड़ित को यह अधिकार होगा कि वह मजिस्ट्रेट से गुजारिश कर अपने लिए और अपने नाबालिग बच्चे के लिए गुजारा भत्ते की मांग करे। इसके अलावा महिला मजिस्ट्रेट से अपना नाबालिग बच्चे को अपने पास रखने के लिए भी दरख्वास्त कर सकती है। अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट का ही होगा। 7- इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान इसे असंवैधानिक करार दिया था। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर ने केन्द्र सरकार को यह निर्देश दिया था कि वह इस बारे में एक कानून लेकर आए। 8- तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के आए आदेश का देशभर में स्वागत किया गया था। खासकर, मुस्लिम महिलाओं ने इस जबरदस्त तरीके से समर्थन किया। 9- हालांकि, एक साथ तीन तलाक को आपराधिक बनाने से सभी खुश नहीं है। कुछ मुस्लिम विद्वानों और संगठनों ने इसका विरोध किया है। इसके साथ ही, वे इसे मुस्लिम पर्सनल शरिया कानून में दखल मान रहे हैं। 10- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इस बिल का विरोध किया है। बोर्ड का कहना है कि यह बिल शरिया कानून के खिलाफ है और अगर यह कानून बनता है तो कई परिवार तबाही के कगार पर आ जाएंगे" - तीन तलाक: लोकसभा में बिना संशोधन पास हुआ ऐतिहासिक बिल, जानें इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें http://tz.ucweb.com/12_44zEh