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Friday 16 February 2018

“मीना मीणा विवाद” हल हेतु केन्द्र सरकार को सिफारिश करे – डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’

“मीना मीणा विवाद” हल हेतु केन्द्र सरकार को सिफारिश करे – डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’

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Dr.-P.-Meena-Nirankush1
 राजस्थान सरकार “मीना मीणा विवाद” हल हेतु तुरंत संशोधित अधिसूचना
 जारी करवाने की केन्द्र सरकार को सिफारिश करे-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
 प्रेषिति : माननीय मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार, जयपुर।  
 
 विषय : मीना मीणा जनजाति विवाद को तुरन्त हल करने वास्ते संशोधित अधिसूचना जारी करवाने की केन्द्र सरकार को सिफारिश करने हेतु।
उपरोक्त विषय में ध्यान आद्भष्ट कर आपकी जानकारी में लाया जाना जरूरी हो गया है कि-
1. यह कि प्रारम्भ में काका कालेकर आयोग द्वारा ‘मीणा’ जाति को जनजातियों की सूची में शामिल करने की सिफारिश भारत सरकार को की गयी थी। लेकिन भारत सरकार के काले अंग्रेज बाबुओं ने मीणा जाति को अंग्रेजी में Mina अनुवाद करके जनजातियों की सूची में क्रम संख्या 9 पर Mina जनजाति के नाम से अधिसूचित कर दिया।
2. यह कि भारत सरकार द्वारा 1976 में राजभाषा अधिनियम लागू किये जाने के बाद मीणा जनजाति के अंग्रेजी में लिखे गये Mina नाम को सरकारी अनुवादकों ने हिन्दी में ‘मीना’ अनुवादित करके मीना/Mina के रूप में जनजातियों की सूची में फिर से अधिसूचित कर दिया।
3. यह कि इस प्रकार काका कालेकर आयोग द्वारा जिस ‘मीणा’ जाति को जनजातियों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की गयी थी, उसे सरकार को संचालित करने वाले काले अंग्रेजों ने मीना/Mina जाति बना दिया। जिसके चलते सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर मीणा के साथ-साथ मीना शब्द भी प्रचलन में आ गया। इसी दौरान मीणा जाति के अंग्रेजी नहीं जानने वाले विद्यार्थियों को मीना/मीणा का अंग्रेजी अनुवाद सरकारी पाठशालाओं में सरकारी अध्यापकों द्वारा Meena लिखना सिखाया जाता रहा।
4. यह कि इस प्रकार काका कालेकर आयोग की सिफारिश पर जनजातियों की सूची में शामिल मीणा जाति को सरकार से वेतन प्राप्त करने वाले काले अंग्रेज बाबुओं और सरकारी अध्यापकों ने मीना/मीणा/Meena बना दिया। इसीलिये राजस्थान में किन्हीं अपवादों को छोड़कर सभी मीणाओं को मीना/मीणा/Meena नाम से ही जनजाति के जाति प्रमाण-पत्र बनाये जाते रहे हैं।
5. यह कि इतिहास साक्षी है कि स्वतन्त्रता संग्राम में बढचढकर भाग लेने वाले मीणा जनजाति के स्वाभिमानी लोग सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से अत्यधिक पिछड़े होने के बावजूद शुरू से ही अत्यधिक लगनशील, परिश्रमी और व्यसनमुक्त जीवन व्यतीत करते रहे हैं। इस कारण प्रारम्भ से ही मीणाओं के विद्यार्थियों ने शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता अर्जित करके सरकारी नौकरियॉं हासिल की और अपनी प्रशासनिक, प्रबन्धकीय और तकनीकी बौद्धिक क्षमताओं का हर क्षेत्र में लोहा मनवाया। मगर आरक्षण विरोधी रुग्ण मानसिकता के शिकार और हजारों साल से व्यवस्था पर काबिज मनुवादियों, पूंतिपतियों और काले अंग्रेजों को मीणाओं की ये सांकेतिक प्रगति भी सहन नहीं हुई।
6. यह कि उक्त कारणों से मनुवादियों, पूंतिपतियों और काले अंग्रेजों के खुले समर्थन से आरक्षण विरोधी शक्तियों ने मीणाओं की उभरती प्रतिभाओं को आरक्षण से वंचित करने के दुराशय से मीणा जनजाति का आरक्षण समाप्त करने का सुनियोजित षड़यंत्र रच डाला। जिसके तहत न्यायिक प्रक्रिया का सहारा लेकर, प्रशासनिक गलतियों की सजा मीना/मीणा जनजाति की वर्तमान युवा पीढी को दी जा रही है।
7. यह कि उक्त तथ्यों के प्रकाश में और राजस्थान की मीणा जाति के बारे में मौलिक जानकारी रखने वाले हर एक राजस्थानी को इस बात का अच्छी तरह से ज्ञान है कि जनजातियों की सूची में शामिल मीना/Mina जाति को स्थानीय बोलियों में ‘मीणा/मीना, मैना/मैणा, मेंना/मेंणा, मेना/मेणा’ इत्यादि नामों से बोला और लिखा जाता रहा है। मीणाओं की वंशावली लेखक जागाओं की पोथियों में भी इसके प्रमाण मौजूद हैं।
8. यह कि उपरोक्तानुसार सब कुछ ज्ञात होते हुए भी राजस्थान सरकार द्वारा मीणा/Meena जनजाति के लोगों को जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किये जाने और राज्य सरकार द्वारा मीना/मीणा/Mina/Meena जाति के लोगों के मीणा/Meena जाति के नाम से अब से पहले बनाये जा चुके जाति प्रमाण-पत्रों को मीना/Mina जाति के नाम से सुधार कर जारी नहीं करने के आदेश जारी किये जा चुके हैं। जिससे मीणा जनजाति की उभरती युवा प्रतिभाओं को आरक्षण से वंचित करने का मनुवादियों, पूंतिपतियों और काले अंग्रेजों का षड़यंत्र सफल होता दिख रहा है।
9. यह कि उपरोक्त समस्त हालातों के चलते शांति और सौहार्द के लिये ख्याति प्राप्त राजस्थान की आदिवासी मीना/मीणा/Mina/Meena जनजाति के लोगों में, विशेषकर नौकरी और उच्च शिक्षा की उम्मीद लगाये बैठे युवा वर्ग में आपकी लोकप्रिय सरकार के उक्त निर्णय के विरुद्ध भयंकर क्षोभ, आक्रोश और गुस्सा उत्पन्न हो रहा है। जो किसी भी लोकप्रिय और लोकतांत्रिक सरकार के लिये चिन्ताजनक है।
10. अत: उपरोक्तानुसार अवगत करवाते हुए ‘हक रक्षक दल’ के अजा, अजजा, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के लाखों समर्थकों, कार्यकताओं और सदस्यों की ओर से राजस्थान सरकार को सुझाव प्रस्तुत है कि
(1) राज्य सरकार की ओर से जारी उक्त अलोकतांत्रिक आदेश को जनहित और मीणा जनजाति के उत्थान हेतु तुरन्त वापस लिया जावे।
(2) सामान्य जाति बताकर मीणा जाति के विरुद्ध दुष्प्रचार करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जावे और
(3) राज्य सरकार की ओर से केन्द्र सरकार को अविलम्ब निम्न सिफारिश की जावे-
‘‘जनजातियों की सूची में क्रम 9 पर मीना/Mina को ‘मीणा/मीना/Meena/Mina, मैना/मैणा/Maina, मेंना/मेंणा/Menna, मेना/मेणा/Mena’ जाति के नाम से संशोधित कर जारी किया जावे।’’
11. यह कि आशा है कि सरकार लोक कल्याण और सामाजिक न्याय की संवैधानिक अवधारणा के साथ-साथ, आगामी दीपावली के त्यौहार को ध्यान में रखते हुए उपरोक्तानुसार वैधानिक कदम उठाकर राजस्थान में न्यायप्रिय और लोकप्रिय सरकार संचालित होने का परिचय देगी।

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