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Thursday 28 December 2017

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"तीन तलाक: लोकसभा में बिना किसी संशोधन के पास हुआ ऐतिहासिक बिल, जानें- इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें Livehindustan 28 Dec. 2017 20:13 तीन तलाक: लोकसभा में बिना किसी संशोधन के पास हुआ ऐतिहासिक बिल, जानें- इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें लोकसभा में गुरुवार को एक साथ तीन तलाक पर रोक लगाने वाला ऐतिहासिक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 बिना किसी संशोधन के पास हो गया। सदन में विधेयक के खिलाफ सभी संशोधन खारिज हो गए। अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जायेगा। लोकसभा में तीन तलाक बिल पर AIMIM प्रमुख असादुद्दीन ओवैसी के तीनों संशोधन बुरी तरह खारिज हुए। इसके अलावा कांग्रेस की सुष्मिता देव और सीपीआईएम के ए संपत के संशोधन भी खारिज किए गए। इससे पहले गुरुवार को केंद्र सरकार ने लोकसभा में इस बिल को पेश किया। इस पर लंबी बहस हुई। एआईएमआईएम, आरजीडी, टीएमसी और बीजेडी समेत कई दलों ने इसकी तीखी आलोचना की। बिल में कांग्रेस ने भी कुछ खामियां बतायी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हर कोई महिलाओं को अधिकार देने के पक्ष में है। उन्होने कहा कि इस बिल को संसद की स्थायी समिति में भेजा जाना चाहिए। जबकि, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल मौलिक अधिकारों का हनन करता है। बीजू जनता दल के सांसद भर्तुहरि मेहताब ने कहा कि इस बिल के अंदर ही कई तरह की विसंगतियां है। जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शी ने कहा कि मैं नहीं समझता हूं कि इसे समर्थन किया जाना चाहिए क्योंकि यह किस तरह से तीन तलाक को अपराध बनाने पर महिलाओं को फायदा पहुंचाएगा। अगर किसी को अपराधी के तौर पर सज़ा देकर जेल में डाल दी जाती है तो फिर उसके परिवार की देखभाल कौन करेगा। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मजबूती के साथ अपनी दलीलें कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगर मुस्लिम महिलाओं, बहनों के हित में बिल लाना अपराध है तो ये अपराध हम 10 बार करेंगे। बिल पेश करने के बाद चर्चा के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बिल को महिला के समानता वाला बिल बताया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार हुआ है। शरीयत में दखल नहीं दे रहे हैं। कानून मंत्री ने कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले आने के बाद भी सौ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद पुलिस से नहीं बल्कि सिर्फ मजिस्ट्रेट से ही जमानत संभव हो पाएगी। रविशंकर ने तीन तलाक बिल पर बोलते हुए कहा इसे राजनीति से ना जोड़े। कानून मंत्री ने कहा कि मजहब के तराजू पर बिल को ना तौला जाए। धर्म या राजनीति के लिए यह बिल नहीं लेकर आए हैं। बिल की 10 खास बातें 1-यह एक महत्वपूर्ण बिल है जिससे एक साथ तीन तलाक देने के खिलाफ सज़ा का प्रावधान होगा जो मुस्लिम पुरुषों को एक साथ तीन तलाक कहने से रोकता है। ऐसे बहुत से मामले हैं जिनमें मुस्लिम महिलाओं को फोन या सिर्फ एसएमएस के जरिए तीन तलाक दे दिया गया है। 2-इस बिल में तीन तलाक को दंडनीय अपराध का प्रस्ताव है। ये बिल तीन तलाक को संवैधानिक नैतिकता और लैंगिक समानता के खिलाफ मानता है। इस बिल के प्रावधान के मुताबिक, अगर कोई इस्लाम धर्म मानने वाला फौरन तीन तलाक देता है यह दंडनीय होगा और उसके लिए उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है। 3- इस बिल को गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रिस्तरीय समूह ने तैयार किया है। जिसमें तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत वो चाहे किसी भी रूप में हो जैसे- बोलकर, लिखित या फिर इलैक्टोनिक (एमएसएस या व्हाट्स एप), वह अवैध होगा। उसके लिए पति को तीन साल की कैद का प्रावधान है। इसे केन्द्रीय मंत्रीपरिषद की ओर से पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। 4-बिल के प्रावधान के मुताबिक, पति के ऊपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। लेकिन, कितना जुर्माना हो यह फैसला केस की सुनवाई के दौरान मजिस्ट्रेट की ओर से सुनाया जाएगा। 6- प्रस्तावित कानून सिर्फ एक साथ तीन तलाक पर ही लागू होगा और इसमें पीड़ित को यह अधिकार होगा कि वह मजिस्ट्रेट से गुजारिश कर अपने लिए और अपने नाबालिग बच्चे के लिए गुजारा भत्ते की मांग करे। इसके अलावा महिला मजिस्ट्रेट से अपना नाबालिग बच्चे को अपने पास रखने के लिए भी दरख्वास्त कर सकती है। अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट का ही होगा। 7- इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान इसे असंवैधानिक करार दिया था। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर ने केन्द्र सरकार को यह निर्देश दिया था कि वह इस बारे में एक कानून लेकर आए। 8- तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के आए आदेश का देशभर में स्वागत किया गया था। खासकर, मुस्लिम महिलाओं ने इस जबरदस्त तरीके से समर्थन किया। 9- हालांकि, एक साथ तीन तलाक को आपराधिक बनाने से सभी खुश नहीं है। कुछ मुस्लिम विद्वानों और संगठनों ने इसका विरोध किया है। इसके साथ ही, वे इसे मुस्लिम पर्सनल शरिया कानून में दखल मान रहे हैं। 10- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इस बिल का विरोध किया है। बोर्ड का कहना है कि यह बिल शरिया कानून के खिलाफ है और अगर यह कानून बनता है तो कई परिवार तबाही के कगार पर आ जाएंगे" - तीन तलाक: लोकसभा में बिना संशोधन पास हुआ ऐतिहासिक बिल, जानें इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें http://tz.ucweb.com/12_44zEh

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